> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : नैना देवी - एक दृश्य

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

नैना देवी - एक दृश्य

नैना के दर्शन को 
रात को जब चला 
छबि अनूठी
नैनों में बस गयी |

पहाड़ की चोटी को  
देखा तो लगा
मानो मोतियों की 
माला पहने 
मुस्कुरा रही हैं 
नैना देवी |

आकाश की तरफ देखा
टिमटिमाते तारे 
दिवाली मनाते 
नजर आये |

धरती की तरफ देखा - 
सितारों जड़ी, 
काली शाल ओढ़े, 
मानो कोई दुल्हन 
खामोश बैठी हो
सकुचाती - लजाती |


(c) हेमंत कुमार दुबे 

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