उषाकाल कमरे में आना,
चाय की प्याली के साथ
कोमल, गर्म – नरम हाथों से
दे जाना गालों पर -
एक थपथपाहट|
धीरे से खिड़कियों के परदे खिसकाना,
लौह-जालियों के बीच से,
गुनगुनी धूप का छन-छन,
कमरे को रोशनी से भर जाना|
तुम्हारी उंगलियां जब हौले से छुएंगी,
मेरे अर्धोन्मीलित नेत्र देखेंगे -
तुम्हारे गुलाबी होठों पर
स्निग्ध मंद-स्मित, और
दिल की धडकन कहेगी –
सुप्रभात, मेरे प्यार|
(c) हेमंत कुमार दुबे
चाय की प्याली के साथ
कोमल, गर्म – नरम हाथों से
दे जाना गालों पर -
एक थपथपाहट|
धीरे से खिड़कियों के परदे खिसकाना,
लौह-जालियों के बीच से,
गुनगुनी धूप का छन-छन,
कमरे को रोशनी से भर जाना|
तुम्हारी उंगलियां जब हौले से छुएंगी,
मेरे अर्धोन्मीलित नेत्र देखेंगे -
तुम्हारे गुलाबी होठों पर
स्निग्ध मंद-स्मित, और
दिल की धडकन कहेगी –
सुप्रभात, मेरे प्यार|
(c) हेमंत कुमार दुबे
सुप्रभात.... !
जवाब देंहटाएंआपका प्यार ,स्निग्ध मंद-स्मित, और ,
उषाकाल ,कमरे में आना, चाय की प्याली के साथ ,
सम्पूर्ण जीवन चलता रहे और प्यार बढ़ता रहे.......... !
khoobsurat kavita... subah ke pahlee dhoop kee tarah
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