राम अवध आये तब जल उठे दीप
बज उठी शहनाई, तुरही, ढोल, नगारे
दूर हुआ अँधियारा जीवन में
ख़ुशी से झूम उठे नगरवासी सारे
जली जोत आतम की सबके भीतर
फैला ज्ञान, बही भक्ति की धारा
सुखी प्रजा, नहीं कहीं दुःख-क्लेश
चहुँ ओर गूँजा 'जय श्री राम' नारा
नेतृत्व तम से अब ग्रसित चमन में
देश-भक्ति की अविरल बहे धारा
राम-राज हो सुखी प्रजा जन
करें शुभ-संकल्प, 'हेमंत' पुकारा
कुशल नव-नेतृत्व हो देश का
चमक उठे भारत का भाग्य सितारा
राम करें, मिटे गरीबी, बढे अमीरी
उन्नति हो देश की, देखे जग सारा ।
(c) हेमंत कुमार दूबे