आज चारों तरफ हल्ला है,
यह बदनसीबों का मोहल्ला है,
इंसान की प्रार्थनाओं में,
कहीं ईश्वर, कहीं अल्लाह है|
मंहगाई की मार से बेहाल,
इंसानों के हाथों में खंजर हैं,
पथराई आँखों से देखते हैं,
अपनी ही फिक्र में सब हैं|
योग-क्षेम वाहन करूंगा,
गीता में कृष्ण कहते हैं,
फिर भूखे सोते जाने कितने,
कहाँ वो ईश्वर हमारा है?
अन्ना जबतक है साथ हमारे,
अहिंसा के पथ पर बढ़ाना है,
एक जुट होकर शांति से,
अधिकारों के लिए लड़ना है|
सत्य की होगी जीत,
ऐसा दृढ विश्वास है,
नोचते जो जनता को,
उनका निश्चित विनाश है |
(c) हेमंत कुमार दुबे