> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : माँ शारदा

बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

माँ शारदा

माँ शारदा | वंदना कविता | हेमंत कुमार दुबे ‘अव्यक्त’

माँ शारदा

✍️
📍 नई दिल्ली | 🗓️ | 🕉️ माघ शुक्ल, बसंत पंचमी, विक्रम संवत 2073

वंदना करूँ मैं हे माँ शारदे
वीणा की तारें झंकृत कर दें
चहुं ओर ॐ का गुंजन हो
सोहंम भाव हृदय में भर दें

तरू तरू कुसुमित हो बसंत
रंग-बिरंगी धरती कर दें
विमल विवेक जगे मानस में
हर भक्ति मार्ग प्रशस्त कर दें

भारत भूमि स्वर्ग से सुंदर
सुंदर जन गण मन कर दें
'अव्यक्त' भाव चरण की सेवा
निज आशीष कृतार्थ कर दें

गुरू चरणों में अनुराग बढ़े
गुरू सेवा में अग्रसर कर दें
ब्रह्मज्ञान में रमण करें नित
वीणावादिनी वाणी वर दें।

(C) Hemant Kumar Dubey
माघ शुक्ल, बसंत पंचमी, विक्रम संवत 2073 · नई दिल्ली

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें