> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : सितंबर 2015

शनिवार, 12 सितंबर 2015

ख्वाहिश

अगर लिख सकते हो
तो कोई पैगाम लिख दो
जिन्दगी के कुछ पल
मेरे नाम लिख दो
जब लूँ सांस आखिर
तुम मेरे सामने रहो
इक तेरा इक खुदा
जुबान पर नाम हो...

(स) हेमंत कुमार दुबे
12.09.2015