कवितायें जो मैं लिखता हूँ /
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रविवार, 12 जून 2011
चाँद के पार
कहाँ है मेरा घर
दिल्ली में,
भारत में,
धरती पर
या आसमान में |
वहाँ...
जहाँ दृष्टि नहीं जाती,
मन व बुद्धि भी नहीं जाते,
वहीं मेरा घर है |
चर्म-चक्षुओं को
चाँद बड़ा सा दिखता है
नजदीक सा लगता है
इसलिए
घर मेरा थोडा आगे है
चाँद के पार |
tab to wo ghar bahut sundar hoga chaand ke paar...
जवाब देंहटाएंbahut khoob...!!!
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