ईश्वर को याद करो, दिन बदल जायेंगे
गिरते हुए दिल फिर से संभल जायेंगे
मेरी याद आये तो थोड़ा मुस्कुरा देना
फ़िजा में फिर से गुल खिल जायेंगे
फूलों को छू लेना जब चाहोगी मुझे छूना
पराग कण तुम्हारे हाथों से चिपक जायेंगे
मेरी खुशबू से महक उठेंगे हाथ तुम्हारे
मन वीणा के तार झंकृत हो जायेंगे
तितली को सिर्फ देखते ही रहना तुम
पकड़ने से पंख दोनों टूट जायेंगे
उड़ना उन्मुक्तता से मेरी आदत है
तेरे बंधन में नहीं बंध पायेंगे
देखना हो जब मुझको सुबह उठ लेना
बाग में गुनगुनाते भौंरे से मिल जायेंगे
भर लेना फेफड़ों में ताज़ी हवा
तुम्हारी साँसों में, धडकनों में बस जायेंगे |
(c) हेमंत कुमार दूबे