> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : धरती

बुधवार, 4 सितंबर 2013

धरती



श्वेत, पीत, गुलाबी, नीले
रंग अनेक  कुसुम सुगन्धित
धानी चुनर ओढ़े धरती
अरुण रश्मि से आलोकित

वर्षा ऋतु में किये नव सृंगार
पालिनी सब जड़-चेतन की
विस्तृत नील गगन के नीचे
सुन्दर लगती है दुल्हन जैसी

(c) हेमंत कुमार दूबे

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