> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : याद कर बचपन के दिन

सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

याद कर बचपन के दिन





शब्दों की चहलकदमी से
चलो आज चुप्पियों को तोड़ते हैं
याद कर बचपन के दिन
एक नया रिश्ता जोड़ते हैं

भटक रहे थे बड़ी देर से हम
मार्ग-दर्शन एक-दूजे का करते हैं
ब्रह्मपुत्र में बड़ी दूर आईं किश्तियाँ
फिर से किनारों की ओर मोड़ते हैं

चलो पगडंडियों पर चलते हुए
पहाड़ी पर इन्द्र-धनुष देखते हैं
देवपानी नदी के तट पर
चमकीले-चिकने कंकड खोजते हैं

रोइंग की न्यू कालोनी में
खेल वही पुराने खेलते हैं
लौट आएँगी वही खुशियाँ
बिखरे मोतियों को पिरोते हैं

सुंदर शब्दों के अरण्य में
चलो भविष्य पथ खोजते हैं
कुछ कहते कुछ सुनते
संग जीवन में आगे बढते हैं|

(c) हेमंत कुमार दुबे
http://poetrystream.blogspot.com

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