> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : 2014

शनिवार, 13 सितंबर 2014

दास्ताँ

अपना दर्द किसे बताये हेमंत
जो भी सुनता है हंस देता है
जख्म किसी को दिखाए कैसे
वो तो नमक छिड़क देता है।
जिससे उम्मीद थी कुछ करेगा
बिना पलटे ही वो चल देता है
नेह लगा ले खुदा से प्यारे हेमंत
वही है जो सबको संबल देता है।
© हेमंत कुमार दुबे
www.hemantdubey.com
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रविवार, 13 जुलाई 2014

महाकाल


देवों के भी देव
आप महाकाल कहलाते
करो कल्याण प्रभो
हम नित शीश झुकाते

हेमंत करे प्रणाम देव
सुख शांति मिल जाये
सोमवार से रविवार सफल
हर दिन प्रसन्नता लाये

सावन में विशेष पूजन
नव-नव श्रृंगार बने
हर्षित-पुलकित हो मन
हर हर महादेव सुने

गूंजे उठे दशों दिशाएँ
चलो ऐसा जयघोष करें
बने विश्वगुरू भारत अपना
आओ ऐसा संकल्प करें।

(स) हेमंत कुमार दूबे
http://www.hemantdubey.com

निमंत्रण




तितली सी उड़ती हुई
मेरे उपवन में आना
कुछ पुष्प खिलाये हैं
तुम सौन्दर्य बढ़ा जाना

सुगन्धित हो जाएगा तन
तेरा मन चहक उठेगा
बसंत बहार आयेगी 'हेमंत'
तेरा जीवन निखर उठेगा।

(स) हेमंत कुमार दूबे

गुरुवार, 15 मई 2014

सहचरी

श्री जुबिन गर्ग जी के असमिया और हिन्दी गीतों से प्रेरित यह नूतन भाव काव्यांजलि, उन्हीं को सादर समर्पित...



तुम ही हो
सिर्फ तुम
जिधर भी देखता हूँ
जीवन में
संसार में
अपनी कल्पना में
पूजा में
अर्चना में
भावों की विवेचना में

तब से
जब से देखा है तुम्हें
सूदूर छोटे शहर के हरे मैदान में
विस्तृत नील गगन के नीचे
इठलाती तितली-सी
खिलखिलाती हुई
ईश्वर के उपवन की कली-सी
मैं भूल गया खुद को

वर्षों बाद भी
ढूंढ रहा अपना अस्तित्व
पर जिधर देखता हूँ
सिर्फ तुम नजर आती हो

बगीचे की बेंच पर
छत की मुरेड पर
गौरैयों की चहचहाहट में
नीम की फुनगी पर
कोयल की कूक में
बस से उतरती
मोटर गाड़ी चलाती
पैदल चलती
भीड़ से निकलती
बच्चों से गले मिलती
ममता के रूप में
छोटे बच्चे की हँसी में
चाकलेट की छिना झपटी में
रूठी मुनियाँ में
सारी दुनिया में
तुम ही नजर आती हो

तुम्हीं हो
सिर्फ तुम्हीं
मेरा प्रथम प्यार
मेरे जीवन का आधार
होठों का गीत
शब्दों की कहानी
मन की भावना
मधुर कल्पना
मेरी सहचरी
मेरी कविता
परिणीता |

(स) हेमंत कुमार दूबे

शुक्रवार, 9 मई 2014

तन-वीणा



यह वीणा जो बज रही है वर्षों से
झेल चुकी है कई वार 
छूट कर गिरी थी
मजबूत हाथों से
जिन्होंने कसम खाई थी 
कभी गिरने नहीं देने की

तार इतनी बार कसे जा चुके हैं
टूटना चाहते हैं कभी भी
पर तुम कुछ मत सोचो
सुन लो जो धुन बज रही है
और खो जाओ
इसके सुरीले संसार में
मिल जाएगा तुम्हें सुकून
और धन्य हो जायेगा
इसका बजना
सार्थक हो जाएगा
इसका क्षणभंगुर जीवन|

(स) हेमंत कुमार दूबे

गुरुवार, 20 मार्च 2014

सिर्फ प्यार जरूरी है



समय-समय की बात होती है,
कभी दिन कभी रात होती है
नज़ारा सब बदल जाता है
कभी धूप कभी छाँव होती है

शिशुपन, बचपन, किशोरपन
प्रौढपन देखते-देखते बीत जाता है
घड़ी की टिक-टिक चलती रहती है
बुढ़ापा आता है जिंदगी खाक होती है

जानते हैं सभी आये थे कहाँ से
भूले से पथ पर चलते रहते हैं
मंजिल का पता किसे मालूम नहीं
जानकार भी सभी अनजान रहते हैं

तेरा मेरा मिलना दो दिन का यहाँ
यह क़स्बा व सराय न तेरी न मेरी है
मिल कर गले कुछ पल जी ले 'हेमंत'
तकरार नहीं, जीवन में सिर्फ प्यार जरूरी है |

(स) हेमंत कुमार दूबे

रविवार, 16 मार्च 2014

होली - नज़ारे बदल गये हैं...




होली के मौसम में फूल खिल रहे हैं
रंगों की बरसात में सभी भीग रहे हैं

मन में जो प्रभु की मूरत बसा लिए हैं
‘हेमंत’ उनके लिए नज़ारे बदल गये हैं...


होली की हार्दिक शुभकामनाये...