जब खुद से पूछा, किसने
मुझसे सच्चा प्यार किया है
कौन है वो शख्स जिसने
जीवन को गुलजार किया है
हँसा-रोया कौन मेरे संग,
किसने मेरे लिए कष्ट सहा है
सुनाता हूँ सुनो गौर से,
मेरे दिल ने आज क्या कहा है
सबसे पहले दिल ने एक
सुन्दर चलचित्र दिखाया है
नेपथ्य से आती आवाजों ने
दृश्यों को समझाया है
बचपन से जवानी तक सफ़र फिर से दिखलाया है
हर तस्वीर में माता-पिता का चेहरा नजर आया है
तथ्यों को भूला बैठा था, सच्चाई
से मुँह मोड़ा था
झूठे प्रेम का दीवाना बना,
सच्चे प्रेम को छोड़ा था
पश्चात्य संस्कृति के
चक्कर में जो पड़ा हुआ था
आदर्शों से दूर हुआ मैं,
भटकता हुआ भगोड़ा था
नजरों से निहाल करते
माता-पिता मेरे नजर आये
उनके प्रेम-प्रकाश के आगे
कोई नहीं जो टिक पाये
प्रेम का दम भरने वाली
प्रेमिका ने भी गम हैं दिये
माता-पिता ही सच्चे
हितैषी सुख-दुःख में सच्चे साये
निःस्वार्थ प्रेम जो करते
हमसे उनका ही गुण गायें
फूल गुलाब का उन्हें भेंट
दे चरणों में शीश झुकाएं
आओ १४ फ़रवरी को मातृ-पितृ
पूजन दिवस मनाएँ
माता-पिता की सेवा से
अपना जीवन सफल बनाएं|
(c) हेमंत कुमार दुबे
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