> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : चाँद के पार

रविवार, 12 जून 2011

चाँद के पार



कहाँ है मेरा घर
दिल्ली में,
भारत में,
धरती पर
या आसमान में |

वहाँ...
जहाँ दृष्टि नहीं जाती,
मन व बुद्धि भी नहीं जाते,
वहीं मेरा घर है |

चर्म-चक्षुओं को
चाँद बड़ा सा दिखता है
नजदीक सा लगता है
इसलिए
घर मेरा थोडा आगे है
चाँद के पार |

---हेमंत कुमार दुबे

2 टिप्‍पणियां: