दिल में जब तेरी मूरत बिठाई है
दीवालों पर तस्वीर सजाऊं क्यों
बसता है जब तू मेरी सांसों में
तुझको कैसे भुलाऊं और क्यों..
दिलबर तू करता हर इच्छा पूरी
नश्वर चाहों के लिए दौडाऊं क्यों
मन तुझ में ही रम रहा है
संसार में फिर रमाऊँ क्यों .....
हर खुशी और गम में तू शामिल है
तुझसे फिर कुछ भी छुपाऊं क्यों
एकमात्र तू ही सलाहकार है मेरा
गोपनीयता कैसे निभाऊं और क्यों ...
(c) हेमंत कुमार दुबे
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