> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : गुड़िया मेरी

शनिवार, 10 नवंबर 2012

गुड़िया मेरी



चांदनी-रथ पर हो सवार, आई है परी-सी गुड़िया मेरी |
छोटे हाथों, छोटे पावों को चलाती आई, ये गुड़िया मेरी ||
थोड़ी चंचल, थोड़ी नटखट, भोली-भाली है गुड़िया मेरी |
ईश्वर का उपहार, लाई जीवन में बहार, ये गुड़िया मेरी ||

जब हँसती, खिलते फूल, महक जाती है बगिया मेरी |
माँ की लाड़ली, दुलारी, बड़ी प्यारी है, ये गुड़िया मेरी ||
गोद में आते ही किलकारती-पुकारती है गुड़िया मेरी |
वैष्णवी नाम से पावन करती रहती है, ये गुड़िया मेरी ||

(c) हेमंत कुमार दूबे

=> वैष्णवी श्रीमति व श्री उमेश दूबे की कन्या हैं और मैं उसका फूफा हूँ | आज वह मेरे घर आई थी तो यह काव्य-गीत बना |

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