एक वो दिन जब प्यार भरे खत
डाकिया हर हफ्ते दे जाता था
तुम्हारे हाथों की खुशबू पाकर
मेरा गुलशन महक जाता था
जो दिल की जुबानी लिखी मैंने
तो ऐसा क्या हुआ और क्यों
गुस्ताखी ऐसी क्या हो गयी
तेरी चाहत में जहर घुला क्यों
तुमने नफ़रत भरा खत लिखा
मैंने फिर भी तुमसे प्यार किया
कभी मिलोगी तो पूछूँगा, क्यों
इस आस में एक उम्र गुजार दिया|
(c) हेमंत कुमार दुबे
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