> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : सितंबर 2014

शनिवार, 13 सितंबर 2014

दास्ताँ

अपना दर्द किसे बताये हेमंत
जो भी सुनता है हंस देता है
जख्म किसी को दिखाए कैसे
वो तो नमक छिड़क देता है।
जिससे उम्मीद थी कुछ करेगा
बिना पलटे ही वो चल देता है
नेह लगा ले खुदा से प्यारे हेमंत
वही है जो सबको संबल देता है।
© हेमंत कुमार दुबे
www.hemantdubey.com
 Select from the best offers available on Home Shop 18