> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : गणेश वंदना

सोमवार, 24 सितंबर 2012

गणेश वंदना




हाथ जोड़ वंदन करूँ सुनिए गणराय,

मूसक की सवारी पर शीघ्र आ जाएँ |

शशि को बिठा भाल तिलक लें लगा,

हाथ में परसु और फांस लेकर आएँ || १ ||

 

सिंदूर बदन में लगा मोदक ले हाथ,

वरद हस्त भारत पर रखिये महाराज |

देश के द्रोहियों को देकर सद्बुद्धि,

भारत-भक्तों के सवारिये सब काज || २ || हाथ जोड़....

 

गजबदन, विनायक, लम्बोदर कहलाते,  

पार्वती नंदन स्कन्द के लघु भ्राता |

शंकर के गणनायक अतुलित बलशाली,

हिमालय के धेवते है आप सुरत्राता || ३ || हाथ जोड़...

 

दुष्ट आतंकियों को मार दीजिए भगा,

आन-बान भारत की आप ही के हाथ |

बिगड़ी संवारिये प्रभु भारत का भाग्य

विनय करता ‘हेमंत’ कीजिये सनाथ || ४ || हाथ जोड़...

 
(c) हेमंत कुमार दूबे

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