काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक
कवितायें जो मैं लिखता हूँ / मेरे जीवन की हैं कहानी / जो देखा-सुना इस संसार में / तस्वीरें कुछ नई, कुछ पुरानी // आएँ पढ़ें मेरी जीवन गाथा / जिसमें मैं और मेरा प्यार / आत्म-शांति अनुभूति की बातें / बेताब पाने को आपका दुलार...//
रविवार, 6 सितंबर 2020
एक से सवा लाख जगाओ । HINDI SHORT FILM | RISHI PRASAD
@YouTube
A short film. Everyone must watch till the end. Hari Om.
For getting a copy of Rishi Prasad download the Rishi Prasad App from Google Playstore or visit http://rishiprasad.org
शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019
प्रार्थना
प्रेम जता कर हारे
क्रूर हैं वे क्रूर रहेंगे
उन्होंने 42 पुत्र मारे
नहीं चाहिए मुरली धुन
हे कृष्ण करो शंखनाद
चक्र चलायो हे मधुसूदन
हरो भारत माता का विषाद
न एक भी आतंकी बचे
ऐसा कुछ उद्यम करो हरि
शांति बने विश्व में मोहन
धरो रूप आज फिर नरहरि
प्रार्थना अव्यक्त जन जन की
सुन लो हे अरिसूदन
भक्त वत्सल कहलाते हो
सारंग उठाओ हे कृष्ण।
@ अव्यक्त
16.02.2019
सोमवार, 23 अक्तूबर 2017
Set me free before I come to you!
My spirit is caged in the four walls
The place that is called home
By the guardians and their subjects
With duties and responsibilities
Like linked chains my feet are bound
My eyes gaze towards the sky
Ears hear the chirp of birds
Oh! They are free and I am not
And my mind wanders afar
To unseen lands beyond unseen seas
On the top of the mountains
Looking into the valleys never seen
Daily I pray with folded hands
O Lord! The creator of this beautiful world
Let me see your art
To the content of my heart
Let me see the rising sun
On the Himalayas, Alps and Andes
And let me sail the mighty oceans
Indian, Pacific, Arctic and Atlantic
O Lord! Let all my dreams come true
With camera dangling from my neck
And a back-pack full of goods
A note book and colour box too
Let me roam your world
Before I come back to you!
(C) Hemant Kumar Dubey
23.10.2017, New Delhi
बुधवार, 1 फ़रवरी 2017
माँ शारदा
वंदना करूँ मैं हे माँ शारदे
वीणा की तारें झंकृत कर दें
चहुं ओर ॐ का गुंजन हो
सोहंम भाव हृदय में भर दें
तरू तरू कुसुमित हो बसंत
रंग-बिरंगी धरती कर दें
विमल विवेक जगे मानस में
हर भक्ति मार्ग प्रशस्त कर दें
भारत भूमि स्वर्ग से सुंदर
सुंदर जन गण मन कर दें
'अव्यक्त' भाव चरण की सेवा
निज आशीष कृतार्थ कर दें
गुरू चरणों में अनुराग बढ़े
गुरू सेवा में अग्रसर कर दें
ब्रह्मज्ञान में रमण करें नित
वीणावादिनी वाणी वर दें।
(C) हेमंत कुमार दुबे 'अव्यक्त'
माघ शुक्ल, बसंत पंचमी, विक्रम संवत 2073
http://www.hemantdubey.com
🌸🌼जय माँ वीणापाणि सरस्वती 🌷💐🙏
🙏🌷जय गुरूजी🌷🙏
रविवार, 13 नवंबर 2016
आशा व विश्वास
मन को बहलाता रहता हूँ
कोई तो शब्द पहुंचेंगा
कभी तो जवाब मिलेगा
कोई तो रास्ता निकलेगा
कभी तो मुरझाया फूल खिलेगा
आशा की जीत होगी
दोनों तरफ शांति होगी
'अव्यक्त' बात व्यक्त होगी
प्रीत परिपक्व होगी।
© हेमंत कुमार दुबे 'अव्यक्त'
13.11.2014
शनिवार, 12 नवंबर 2016
सुनो तितली
हे तितली, तुम ईश्वर की सुंदर रचना
क्या तुम अपने सौंदर्य को जानती हो?
हाथ बढाकर क्यों नहीं पकड़ा तुम्हें
क्या तुम इसका कारण जानती हो?
तुम्हारी सुंदरता का मैं कायल हूँ
तुम्हारी चंचलता मन को मोहती है
नन्हें रंगबिरंगे पंखों का फड़फड़ाना
तुम्हारा उड़ना मुझे अच्छा लगता है
तुम्हारी उड़ान में महसूस करता हूँ
मानो मेरे पंख है और मैं उड़ रहा हूँ
फूलों को देख कर खुश हो जाता हूँ
उनमें भी खुद को ही तो देखता हूँ।
तितली, तुम मन को आंदोलित करती
तुम्हारे कारण ही धरती का श्रृंगार है
तुम्हारी स्वछंदता को नहीं बांधता क्योंकि
व्यक्त में अव्यक्त को तुमसे प्यार है।
© हेमंत कुमार दुबे 'अव्यक्त'
12.11.2016, नई दिल्ली
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016
Wheels
Always mesmerized me, then
When I was a child
Going to home town in planes
From the young Himalayan Hills
Long journey of half a week
And now when I have grown
Through the years gone
Life seems exactly the same
Mechanical like the wheel
Running monotonously
But mesmerizing to onlookers
And taking me to the place
Where every journey ends.
14.12.2015, New Delhi
सोमवार, 4 जनवरी 2016
The first stopover
The road to my destination was clear
The Sun was going down
And there I lay on the path
Tired but smiling
I had started on a journey
Which I believe will give
Unlimited fun
And the much needed happiness
For years to come, and this
My first stopover I looked over
Just a few more steps ahead.
- © Hemant Kumar Dubey 'Avyakt'
रविवार, 20 दिसंबर 2015
मेरा धर्म
मेरा तो धर्म इंसानियत यह अव्यक्त कहता है।