रक्तिम सूरज की किरणों
से
जीवन पथ फिर से चमक उठा
बगिया में खिल उठे
पुष्प सब
तुम आई तो जीवन महक उठा
तितलियाँ पंख खोल उड़ने
लगी
भ्रमरों का गुन-गुन
संगीत बज उठा
कोयल कूकी निबिया की
डाली पर
तुम आई तो जीवन चहक उठा
सोये पंछी जागे, गौएँ
रम्भाने लगीं
पण्डितों का मंत्र
उच्चारण शुरू हुआ
बैलों के गले की
घंटियाँ बजने लगीं
तुम आई तो जीवन फिर शुरू
हुआ |
©
हेमंत कुमार दुबे
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