देखा मैंने एक सुंदर-सा सपना
पहाड़ी-नदी बह रही कल-कल
जल पी रहे थे किनारे हिरण
वन के पंछी करते किल्लोल
छोटा-सा एक गाँव बसा था
सामने हरा-भरा मैदान फैला
भूरी, सफ़ेद, काली, चितकबरी
चरती गायें, बछड़े दिखाते कला
रंग-बिरंगे फूलों वाली बगिया
जिसके मध्य एक कच्चा घर
हर सुख-सुविधा से संपन्न
जिसमें रहता मेरा परिवार |
(c)
हेमंत कुमार दुबे
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