> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : कुछ देर के लिए ही सही

शनिवार, 1 जून 2013

कुछ देर के लिए ही सही





 

कुछ देर के लिए ही सही

चलो मिल लो मेरे पथ में

रास्ता विकट है जीवन का

सुस्ता लो बैठ मेरे संग में

 

कुछ देर के लिए ही सही

समा जाओ तुम बाँहों में

भूल जाओ सारी कायनात

घुल जाओ मेरी सांसों में

 

कुछ देर के लिए ही सही

जी लूँगा तुम्हारे संग में

कोरा रहा तेरी राह देखता

रंग जाऊँगा तेरे रंग में

 

कुछ देर के लिए ही सही

निहारूंगा झील-सी आँखों में

खोज लूँगा गोता लगा कर

खुद को और खुदा को तुझमें

 

लिखा है तेरा नाम प्रिये

जीवन के पन्ने-पन्ने पर

तर जाऊँगा जो पढ़ लो

टेर है अब न लगाओ देर




© हेमंत कुमार दुबे

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