कुछ देर के लिए ही सही
चलो मिल लो मेरे पथ में
रास्ता विकट है जीवन का
सुस्ता लो बैठ मेरे संग में
कुछ देर के लिए ही सही
समा जाओ तुम बाँहों में
भूल जाओ सारी कायनात
घुल जाओ मेरी सांसों में
कुछ देर के लिए ही सही
जी लूँगा तुम्हारे संग में
कोरा रहा तेरी राह देखता
रंग जाऊँगा तेरे रंग में
कुछ देर के लिए ही सही
निहारूंगा झील-सी आँखों में
खोज लूँगा गोता लगा कर
खुद को और खुदा को तुझमें
लिखा है तेरा नाम प्रिये
जीवन के पन्ने-पन्ने पर
तर जाऊँगा जो पढ़ लो
टेर है अब न लगाओ देर
©
हेमंत कुमार दुबे
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