नुक्ताचीनी ही जिनकी आदत है
जो औरों को दर्द देकर हँसते हैं
वे अपने दर्द से तप तडपते हैं
पड़ोसी की खुशी देखकर मरते हैं
कलियुग का यही प्रभाव है
झूठे ही सच को छुपाते हैं
नेता जनता को भरमाते हैं
कौवे हंस को मारते-भगाते हैं
ज्यों चाँद बादलों से निकलता है
रात के बाद सूरज चमकता है
देर भले हो जाए न्याय में
अंतत: सत्य विजयी होता है|
(c) हेमंत कुमार दूबे
sach bataya aapne... sundar!
जवाब देंहटाएंsaty vachan
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