मैं उनके नाम की माला जपता
रहा
उन्होंने घर को ही आग लगा
दी
परमात्मा में जब आत्मा मिल
गयी
उन्होंने मेरी राख यमुना
में बहा दी |
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चींटे को बार बार दूर करता हूँ
फिर भी वह मेरे पास आता है
बेवफा इंसानों से तो अच्छा है
उससे शायद कोई पुराना नाता है |
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तुम
एक कलमा ही पढ़ दो
मेरी
मजार पर फूल रखकर
जन्नत
मिल जायेगी मुझको
या
जी उठेगी रूह सुनकर |
(c) हेमंत कुमार दूबे
kya baat hai bahut hee sunder kavita hai aapki janaab.hame naaj hai aap per.
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