কী কৰুঁ, কত জাউ, পথ মুকে না বুজায়
ঘন বন, ভোৰিত কাঁইট, কেঁকণি উলায়
প্ৰকাশবিহীন কলা ৰাতি, মন ভয় পায়
এই সময় তুমাৰ নাম মুখত উলাই পায় |
(c) হেমন্ত কুমাৰ দুবে
-------------------------------- हिंदी अनुवाद------------
क्या करूँ, कहाँ जाऊं, सूझती नहीं है राह
गहन वन, पैरों में कांटे, निकलती है आह
काली अँधेरी रात, मन मेरा डर जाए
ऐसे समय तुम्हारा नाम मुख से निकल जाए |
(c) हेमंत कुमार दुबे
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