नारी की जो इज्जत करते नहीं,
वे नर नहीं, पशु भी नहीं,
दैत्यों के समान हैं,
जिस घर में नारी पूजित नहीं,
वह घर मसान है|
परायी स्त्री देख कर,
जिसमें आदर भाव उपजे नहीं,
जो समझे न माँ, बहन, बेटी,
वह केवल शैतान है|
शैतानों को जो शह दे,
वह भी नर नहीं,
पत्थर के समान है,
सभ्य समाज में उसका,
नहीं कोई स्थान है |
ऐसे अधमधामों का,
पत्थर दिल दुष्टों का,
न कोई धर्म है,
न कोई भगवान है|
नारी नारायणी है,
माँ, बहन, बहू, बेटी है,
इससे ही धरती है,
इससे ही संसार है,
नारी की जो रक्षा करे,
मान दे, आदर दे,
वही सच्चा इंसान है |
नारी नारायणी है,
जवाब देंहटाएंमाँ, बहन, बहू, बेटी है,
इससे ही धरती है,
इससे ही संसार है,
नारी की जो रक्षा करे,
मान दे, आदर दे,
वही सच्चा इंसान है |
bilkul sach kaha aapne, bahut umda prastuti, sarthal prastuti ke liye aabhar
बहुत सुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी आपके विचारों को नमन...
अनु
BADHIYA KAVITA...BADHAI
जवाब देंहटाएंकाश ऐसे विचार जन जन के मन में हों ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंBahut hi behatreen Rachna
जवाब देंहटाएं.....H C Bhaskar