जैसे हैं हवा, पानी और जमीन,
सुबह की धूप, खुशबू तुम्हारी है
तुमसे ही परिपूर्ण है मेरा जीवन |
तुम तो करते कुछ भी नहीं
सब होता स्वत: कर्मों का परिणाम,
फिर भी सह लेते हर आक्षेप
माता-पिता, बंधू-सखा हो तुम |
मेरे प्रभु, तुम-सा कोई नहीं,
पीछे, अभी, आगे भी नहीं ,
जीवन-प्राण आधार मेरे तुम,
तुममे मुझमें कुछ भेद नहीं !
(c) हेमंत कुमार दुबे
तुम तो करते कुछ भी नहीं
जवाब देंहटाएंसब होता स्वत: कर्मों का परिणाम,
फिर भी सह लेते हर आक्षेप
माता-पिता, बंधू-सखा हो तुम |
prabhu yah dayaa banaye rakhna
जियो ,जियो ..... बहोत अच्छे... !
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