> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : स्पर्श

रविवार, 18 सितंबर 2011

स्पर्श










लाग-इन करके फेसबुक पर,
मेरी प्रोफाइल पर जब तुम आती,
सुबह की गुनगुनी धूप में,
वो कमल कली सी खिल जाती,
फिर भंवरें गूंजते कवि-मन के,
सुरमयी-मधुमय होता समां|


पसंद 'गर तुम्हे आये कुछ
बस 'लाइक' कर देना
एक स्पर्श ही काफी है तुम्हारा
मेरा दिन बनाने को|

(c) हेमंत कुमार दुबे


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