यह वीणा जो बज रही है वर्षों से
झेल चुकी है कई वार
छूट कर गिरी थी
मजबूत हाथों से
जिन्होंने कसम खाई थी
कभी गिरने नहीं देने की
तार इतनी बार कसे जा चुके हैं
टूटना चाहते हैं कभी भी
पर तुम कुछ मत सोचो
सुन लो जो धुन बज रही है
और खो जाओ
इसके सुरीले संसार में
मिल जाएगा तुम्हें सुकून
और धन्य हो जायेगा
इसका बजना
सार्थक हो जाएगा
इसका क्षणभंगुर जीवन|
(स) हेमंत कुमार दूबे
Gahan Abhivykti....
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं भावपूर्ण !
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