> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : सिर्फ प्यार जरूरी है

गुरुवार, 20 मार्च 2014

सिर्फ प्यार जरूरी है



समय-समय की बात होती है,
कभी दिन कभी रात होती है
नज़ारा सब बदल जाता है
कभी धूप कभी छाँव होती है

शिशुपन, बचपन, किशोरपन
प्रौढपन देखते-देखते बीत जाता है
घड़ी की टिक-टिक चलती रहती है
बुढ़ापा आता है जिंदगी खाक होती है

जानते हैं सभी आये थे कहाँ से
भूले से पथ पर चलते रहते हैं
मंजिल का पता किसे मालूम नहीं
जानकार भी सभी अनजान रहते हैं

तेरा मेरा मिलना दो दिन का यहाँ
यह क़स्बा व सराय न तेरी न मेरी है
मिल कर गले कुछ पल जी ले 'हेमंत'
तकरार नहीं, जीवन में सिर्फ प्यार जरूरी है |

(स) हेमंत कुमार दूबे

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