> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : तुम्हारा खजाना

बुधवार, 19 अक्टूबर 2011

तुम्हारा खजाना


तुमने सदियों से,
जन्म-जन्मान्तरों से,
व्यक्त-अव्यक्त
बाँटा है खुले हाथ
वह खजाना,
जिसकी चाहत खुटती नहीं,
जिस पर कायम है
तुम्हारा संसार -
वह प्यार है !

(c) Hemant Kumar Dubey

1 टिप्पणी: