> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : दीप जलाओ, दीप जलाओ

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011

दीप जलाओ, दीप जलाओ



दीप जलाओ, दीप जलाओ,
आई दिवाली रे|

लक्ष्मी-गणेश को घर में लाओ,
प्रेम-भक्ति से पूजन करके,
मेवे-मिठाईयों का भोग लगाओ,
सबको खिलाओ, खुद भी खाओ,
आई दिवाली रे|

आस-पड़ोस में खुशियाँ बाँटो,
सबके मन को हर्षित करते,
नाचो गाओ, धूम मचाओ,
आई दिवाली रे|

आत्मपद में प्रतिष्ठित होने को,
जल्दी-जल्दी कदम बढाओ,
दीप जलाओ, तम को भगाओ,
आई दिवाली रे!


(C) हेमंत कुमार दुबे

दीपोत्सव २०११ पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!

"दीपावली कैसे मनाएँ" लिंक पर क्लिक करें और विडियो देखें !!

साभार व सादर,

हेमंत कुमार दुबे

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