> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : आजादी के पर्व

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

आजादी के पर्व


शहीदों के  स्मारक  पर
लगते  हर  रोज  मेले ,
झांकते  पत्थरों  से ,
अक्षरों  से ,
एक - एक  वीर  बहादुर |

बच्चों  की  किलकारी ,
जुगल  जोडों  की  उन्मुक्त  हंसी ,
दोस्तों  के  ठहाके ,
कैमरे  के  अन्दर  बंद  होते ,
खुशिओं  के  स्मृति  चिन्ह |

इनमें  ही  कहीं  होगा ,
उनका  भी  परिवार ,
नाती -पोते,  
हँसते-खेलते -
औरों  की  तरह ,
लेते  साँस,
हवा  के  इन  झोंको  में ,
मानते  आजादी  के  पर्व ,
इंडिया  गेट  पर |


(C) हेमंत कुमार दुबे

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