> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : निमंत्रण

रविवार, 13 जुलाई 2014

निमंत्रण




तितली सी उड़ती हुई
मेरे उपवन में आना
कुछ पुष्प खिलाये हैं
तुम सौन्दर्य बढ़ा जाना

सुगन्धित हो जाएगा तन
तेरा मन चहक उठेगा
बसंत बहार आयेगी 'हेमंत'
तेरा जीवन निखर उठेगा।

(स) हेमंत कुमार दूबे

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