> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : प्यार का त्यौहार

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

प्यार का त्यौहार




प्यार का त्यौहार जब मनाओगे,

दोगे प्रेमिका को फूल और तोहफा,

मत भूलना उस दिन उनको,

जिनके प्यार ने तुम्हें जन्माया,

पाला-पोसा, बड़ा किया,

वो ही, जिन्हें तुमने

प्रेमिका के नैनों से

डसे जाने के पहले,

किया है जान से बढ़कर प्यार|



१४ फरवरी को मनाओ,

दिवस मातृ-पितृ पूजन का,

और पूजो अपने जन्मदाता को,

रोली-चंदन लगाकर,

आरती उतारकर,

चरणों में सिर झुकाकर,

क्योंकि –

वही करते हैं सच्चा प्यार तुमसे,

बाकी तो सारे बुनते है,

जाल छलावों के|



माँ-बाप ही सच्चे हितैषी,

रब से मिलानेवाले हैं,

और तो सब साथी स्वार्थ के,

चमड़ी के प्रेमी हैं|



अगर होता सच्चा

प्रेमी-प्रेमिका का प्यार,

तो कभी टूटते न दिल,

न बिखरता घर-संसार |



आर्य! धोखे में आना नहीं,

पश्चिम की जहरीली हवा से,

वहाँ की चकाचौंध से,

क्योंकि एक दिन ऐसा होगा -

दम घुटने लगेगा तुम्हारा भी,

जैसे घुटता है उनका,

भोगी संस्कृति के जो पोषक,

और जो पा रहे हैं नव-जीवन

तुम्हारी निर्मल हवा से,

आध्यात्मिक संस्कृति से|



जो बन रही पश्चिम का जीवन,

पूरब की उस अपनी बयार को, अगर

तुम ही दूषित बनाओगे,

फिर कैसे जी पाओगे|



सुन्दर चमड़ी से नहीं,

प्यार करो आत्म से,

ईश्वर से, खुदा से,

अपने माँ-बाप से,

भाई-बहन से,

हर जीव में बैठे रब से|




(C) हेमंत कुमार दुबे

कृपया यह भी देखें : १४ फरवरी को क्या करें ?


1 टिप्पणी:

  1. वही करते हैं सच्चा प्यार तुमसे,
    बाकी तो सारे बुनते है,
    जाल छलावों के
    बिलकुल सही कहा आपने ( माता - पिता का दर्जा भगवान् से भी ऊपर है.... !!).... आभार.....

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