प्यार का त्यौहार जब
मनाओगे,
दोगे प्रेमिका को फूल
और तोहफा,
मत भूलना उस दिन उनको,
जिनके प्यार ने तुम्हें
जन्माया,
पाला-पोसा, बड़ा किया,
वो ही, जिन्हें तुमने
प्रेमिका के नैनों से
डसे जाने के पहले,
किया है जान से बढ़कर
प्यार|
१४ फरवरी को मनाओ,
दिवस मातृ-पितृ पूजन
का,
और पूजो अपने जन्मदाता
को,
रोली-चंदन लगाकर,
आरती उतारकर,
चरणों में सिर झुकाकर,
क्योंकि –
वही करते हैं सच्चा
प्यार तुमसे,
बाकी तो सारे बुनते है,
जाल छलावों के|
माँ-बाप ही सच्चे
हितैषी,
रब से मिलानेवाले हैं,
और तो सब साथी स्वार्थ
के,
चमड़ी के प्रेमी हैं|
अगर होता सच्चा
प्रेमी-प्रेमिका का
प्यार,
तो कभी टूटते न दिल,
न बिखरता घर-संसार |
आर्य! धोखे में आना
नहीं,
पश्चिम की जहरीली हवा
से,
वहाँ की चकाचौंध से,
क्योंकि एक दिन ऐसा
होगा -
दम घुटने लगेगा तुम्हारा
भी,
जैसे घुटता है उनका,
भोगी संस्कृति के जो पोषक,
और जो पा रहे हैं
नव-जीवन
तुम्हारी निर्मल हवा से,
आध्यात्मिक संस्कृति से|
जो बन रही पश्चिम का
जीवन,
पूरब की उस अपनी बयार
को, अगर
तुम ही दूषित बनाओगे,
फिर कैसे जी पाओगे|
सुन्दर चमड़ी से नहीं,
प्यार करो आत्म से,
ईश्वर से, खुदा से,
अपने माँ-बाप से,
भाई-बहन से,
हर जीव में बैठे रब से|
(C) हेमंत कुमार दुबे
कृपया यह भी देखें : १४ फरवरी को क्या करें ?
वही करते हैं सच्चा प्यार तुमसे,
जवाब देंहटाएंबाकी तो सारे बुनते है,
जाल छलावों के
बिलकुल सही कहा आपने ( माता - पिता का दर्जा भगवान् से भी ऊपर है.... !!).... आभार.....