उनकी सांसों से बनी धडकन मेरी,
तन में बिजली सी दौड़ गयी,
खून से उनके प्यास मेरी बुझती रही,
रुधिर तन में सुधा बन गयी |
निवाला उनका मैंने भी खाया
स्वाद, सेहत से भरपूर ,
कुर्बानियों से पला-बढ़ा उनकी
करती रहीं जो उन्हें, हरपल मजबूर|
उनके करम से ही हुआ मजबूत मैं,
कैसे चुकाऊं क़र्ज़ - उनके दूध का,
हे विधाता! हर एक सांस मेरी ले लो,
पर सजा-संवार दो बुढ़ापा उनका|
हे मालिक, संसार के नियामक!
ग़मों का साया रहे सदा उनसे दूर,
कटे सुख से जीवन की शाम,
माँ को खुशियाँ मिलें भरपूर|
(c) हेमंत कुमार दुबे
हे मालिक, संसार के नियामक!
जवाब देंहटाएंग़मों का साया रहे सदा उनसे दूर,
कटे सुख से जीवन की शाम,
माँ को खुशियाँ मिलें भरपूर|... maa ke liye dua ... maa ka aashish hamesha saath rahe
बहुत ही खूबसूरत लिखा है !!!
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