ज्ञान हो जाये आत्मा-ज्योति का
परम-ज्योति में हो स्थिति
चाह घटे नश्वर संसार की
शाश्वत में हो जाये प्रीति
आतिशबाजी बहुत हो गयी
बँट गईं मेवे-मिठाईयां भी
जलाएँ दीपमाला भीतर की
होगी सच्ची दिवाली तभी |
(c) हेमंत कुमार दूबे
=> दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
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