वर्षों बाद मिलन
घड़ी भर का साथमन में शब्दों की चहलकदमी
बाहर भागती जिंदगी का शोर
निगाहें टिकी हुई
निहारती प्रीतम कोहोंठ बंद
सांसों को पकड़ते
धडकनों को सुनते कर्ण
जड़वत तन
गहरा मौन
जिसमें शब्दों की
चहलकदमीद्रुतगति से सम्प्रेषण
जैसे बतियाती हुई चंद्र रश्मियाँ
दो पहाड़ियों के मध्य
मौन ने वह कह दिया
जो वर्षों से कहा न थाजोड़ दिए
दिल के तार
मिलन सम्पूर्ण हुआ
प्रेम से परिपूर्ण हुआ |
(c) हेमंत कुमार दूबे
धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकभी कभी मौन में वो ताकत होती ही जो संवादों में नहीं होती बहुत अच्छा लिखा वाह बहुत बहुत बधाई पहली बार आई आपके ब्लॉग पर जुड़ गई हूँ इस श्रंखला से वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आना hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमौन भी सारी बाते कह देता है अगर दिल से सुने तो...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कोमल भाव व्यक्त करती रचना..
:-)
इस कविता को पसंद करने और अपनी टिप्पणी देने के लिए आप सभी का बहुत आभार! कृपया पुन: अवश्य पधारें !
जवाब देंहटाएंमौन...अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है
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