आज हम इंसाफ करेंगे
झूठे मक्कारों को सजा देंगे
भगोडों को भगा देंगे
हाथ की जरूरत नहीं
शब्दों से वार करेंगे
झाडू तो लग चुकी
उसे किनारे रख देंगे
खिडकियों को खोल देंगे
सूरज के घर से चली
किरण का स्वागत करेंगे
अपनी बगिया को सजायेंगे
एक कमल खिलायेंगे
जनजीवन महकायेंगे।
झूठे मक्कारों को सजा देंगे
भगोडों को भगा देंगे
हाथ की जरूरत नहीं
शब्दों से वार करेंगे
झाडू तो लग चुकी
उसे किनारे रख देंगे
खिडकियों को खोल देंगे
सूरज के घर से चली
किरण का स्वागत करेंगे
अपनी बगिया को सजायेंगे
एक कमल खिलायेंगे
जनजीवन महकायेंगे।
(स) हेमंत कुमार दुबे
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