समुंदर में उठती गिरती
लहरों को पता नहीं
कितनी खूबसूरती से लिखा
तुमने रेत पर मेरा नाम
उन्हें तो आदत है
किनारों से टकराने की
मिटाने की
बहा ले जाने की
पर तुम्हारे बारे में
वे नहीं जानती
मैं जानता हूँ
क्योंकि
मैं देख रहा हूँ
तुम्हारा संकल्प
बार बार लिखना
उसी सुंदरता से
परवाह किये बिना
लहरों की
तुम लिखती रहोगी
तबतक जबतक
मैं जिद न करूँ
प्यार से
ठहरने की
क्योंकि मैं जानता हूँ
तुम्हें प्यार है
सिर्फ मुझसे
हद से ज्यादा|
(c) हेमंत कुमार दूबे
लहरों को पता नहीं
कितनी खूबसूरती से लिखा
तुमने रेत पर मेरा नाम
उन्हें तो आदत है
किनारों से टकराने की
मिटाने की
बहा ले जाने की
पर तुम्हारे बारे में
वे नहीं जानती
मैं जानता हूँ
क्योंकि
मैं देख रहा हूँ
तुम्हारा संकल्प
बार बार लिखना
उसी सुंदरता से
परवाह किये बिना
लहरों की
तुम लिखती रहोगी
तबतक जबतक
मैं जिद न करूँ
प्यार से
ठहरने की
क्योंकि मैं जानता हूँ
तुम्हें प्यार है
सिर्फ मुझसे
हद से ज्यादा|
(c) हेमंत कुमार दूबे
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