कागज हो गया है महंगा
डाक-व्यय भी बढ़ गया है
रफ़्तार से भागती जिंदगी में
टेक्नोलॉजी ही एक सहारा है
करों से कम हो गयी आय
लोग मिलते नहीं घर-घर जाय
सूझा दिया इन्टरनेट ने उपाय
फेसबुक पर हाय और गुड-बाय
कलम-दवात कहीं नहीं दिखती
अब ई-पत्र लिखे पढ़े जाते
हैं
सभी हित-मित्र सगे-सम्बन्धी
फेसबुक व स्काइप से बतियाते
हैं
पसंद आ जाती जब कोई बात
लाइक-टिपण्णी-साझा करते
जाते हैं
कागजी एल्बम भी हुई पुरानी
बात
छाया-चित्र फेसबुक पर
दिखलाते हैं
उंगलियाँ नाचती हैं
की-बोर्ड पर
खट-खट खटा-खट आवाज आती है
क्लिक-क्लिक होता चूहे पर
चिठ्ठी कंप्यूटर से भेजी
जाती है
जवाब फ़ौरन आता जाता है
इंतज़ार की घड़ियाँ छोटी होती
हैं
पसंद किये जाते जज्बात झटपट
क्लिकों में तस्वीरें उभर जाती
हैं|
© हेमंत कुमार दूबे