> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : मेरा घर - चाँद के पार..

रविवार, 12 जून 2011

मेरा घर - चाँद के पार..


धरती का घर तो खिलवाड़ मात्र है,
खूबसूरत पर क्षणभंगुर
जैसे निर्जीव मिट्टी की दीवाल पर
बच्चे द्वारा बनी-टंगी तस्वीर |
घर तो मेरा वही है,
जिसमें दृश्यमान -
ऐसी अनगिनत तस्वीरें,
चाँद और सितारे जैसे दीये,
सूरज जैसे अनेकों बल्ब,
पृथ्वी जैसे गुल्दस्तों से सजा,
असीम प्रांगण लिए  -
जिसमे सिमटी है आकाशगंगाएँ,
अनगिनत-अनूठी सृष्टियाँ |

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