> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : नारी

रविवार, 22 जुलाई 2012

नारी




नारी की जो इज्जत करते नहीं,
वे नर नहीं, पशु भी नहीं,
दैत्यों के समान हैं,
जिस घर में नारी पूजित नहीं,
वह घर मसान है|

परायी स्त्री देख कर,
जिसमें आदर भाव उपजे नहीं,
जो समझे न माँ, बहन, बेटी,
वह केवल शैतान है|

शैतानों को जो शह दे,
वह भी नर नहीं,
पत्थर के समान है,
सभ्य समाज में उसका,
नहीं कोई स्थान है |

ऐसे अधमधामों का,
पत्थर दिल दुष्टों का,
न कोई धर्म है,
न कोई भगवान है|

नारी नारायणी है,
माँ, बहन, बहू, बेटी है,
इससे ही धरती है,
इससे ही संसार है,
नारी की जो रक्षा करे,
मान दे, आदर दे,
वही सच्चा इंसान है |

5 टिप्‍पणियां:

  1. नारी नारायणी है,
    माँ, बहन, बहू, बेटी है,
    इससे ही धरती है,
    इससे ही संसार है,
    नारी की जो रक्षा करे,
    मान दे, आदर दे,
    वही सच्चा इंसान है |
    bilkul sach kaha aapne, bahut umda prastuti, sarthal prastuti ke liye aabhar

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  2. बहुत सुन्दर रचना.....
    आपकी लेखनी आपके विचारों को नमन...

    अनु

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  3. काश ऐसे विचार जन जन के मन में हों ... अच्छी प्रस्तुति

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  4. Bahut hi behatreen Rachna
    .....H C Bhaskar

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