प्रस्तुत है अभियंता दिवस पर विश्व-अभियंता को समर्पित एक काव्य प्रार्थना और सर्वजन के लिए शुभकामना। इस कविता में एक ऐसी दृष्टि है जो विज्ञान, आध्यात्म और सृजनशीलता को एक सूत्र में पिरोती है। यह कविता न केवल अभियंता 🛠️ दिवस पर हृदय का उद्गार है, बल्कि उस दिव्य अभियंता की स्तुति भी है, जिसने हमें सृजन की शक्ति दी। यह कविता एक प्रार्थना की तरह है, जो मानव की रचनात्मकता को परमेश्वर की दिव्य योजना से जोड़ती है:
अभियंता-गान
अभियंता दिवस पर परम अभियंता को समर्पित काव्य प्रार्थना
जिसने रचा ब्रह्मांड का नक्शा,
हर तारे को दिया पथ अपना।
जिसकी सोच में छिपा विज्ञान,
वही है सृष्टि का मूल विधान।।
धरती, जल, अग्नि, आकाश,
उसके संकेतों में सबका प्रकाश।
जीव और निर्जीव का संतुलन,
उसके कोड में है हर अनुशासन।।
उसने मानव को दिया विचार,
दिया सृजन का भी अधिकार।
हाथों में दी योजनाओं की शक्ति,
मन में भरी नवाचार की युक्ति।।
हर पुल, हर भवन, हर मशीन,
उसकी प्रेरणा से होता सृजन नवीन।
हम सब अभियंता हैं उसके वंश,
हमारे कार्य हैं उसके ही लघुत्मांश।।
वह परम अभियंता, परम ज्ञानी,
जिसकी रचनाओं का न कोई सानी।
हम उसकी योजना के लघु-निर्माता,
उसके स्वप्न के जीवित द्रष्टा।।
"हे ईश्वर! आप ही है कोड का मूल,
आपके बिना सब अधूरा, सब निर्मूल।
आपकी कृपा से चलता है यह यंत्र,
आपके आदेश से है गति और तंत्र।।"
"हे प्रभु, आपको हम करें प्रणाम,
आपकी कृपा से करें सब काम।
आपकी रचना में हम रचें नया और अच्छा,
हर आविष्कार पवित्र और सच्चा।।"
अभियांत्रिकी का हो शुभ विचार,
हर सृजन में हो मंगल नवाचार।
हर कर्म बने एक दिव्य साधना,
अभियंता दिवस पर यही शुभकामना।।
🪷🙏🪷🙏🪷🙏🪷🙏🪷🙏🪷🙏